देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में जब भी पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का नाम लिया जाएगा, तो उनकी उपलब्धियाँ और जनहित में लिए गए निर्णय चर्चा का विषय बने रहेंगे। भले ही उनका कार्यकाल अल्पकालिक रहा, परंतु उनके द्वारा किए गए कार्यों ने न सिर्फ तत्कालीन समय की चुनौतियों को कम किया, बल्कि भविष्य के लिए भी एक ठोस आधार प्रदान किया।
कठिन परिस्थितियों में मिली जिम्मेदारी
वर्ष 2021 में जब वैश्विक महामारी कोरोना अपने चरम पर थी, उस समय उत्तराखंड की बागडोर तीरथ सिंह रावत के हाथों में आई। यह वह दौर था जब राज्य आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा था। ऐसे समय में मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने जो फैसले लिए, वे संकट मोचक साबित हुए और जनता को राहत देने में महत्वपूर्ण रहे।
22,340 पदों का सृजन – युवाओं को मिला अवसर
शासन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक था 22,340 नए पदों का सृजन। शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस और प्रशासनिक क्षेत्रों में इस स्तर पर पदों का गठन पहली बार हुआ। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम बेरोजगारी को कम करने और प्रशासन को सशक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक था। मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस पहल को आगे बढ़ा रहे हैं और इन पदों पर नियुक्तियों से हजारों परिवारों को स्थायी रोजगार मिलने जा रहा है।
कोविड राहत पैकेज – संकट में संबल
कोरोना काल में तीरथ सिंह रावत सरकार ने जनता की तकलीफ को देखते हुए 2000 करोड़ रुपये का कोविड राहत पैकेज घोषित किया। इस पैकेज ने मजदूरों, किसानों, छोटे व्यापारियों और जरूरतमंद परिवारों तक सीधी आर्थिक सहायता पहुँचाई। मौजूदा सरकार ने इस पहल को पारदर्शिता के साथ लागू कर वास्तविक लाभार्थियों तक पहुँचाया, जिससे संकटग्रस्त लोगों को जीवनयापन में बड़ी मदद मिली।
‘वात्सल्य योजना’ – अनाथ बच्चों का भविष्य संवारने का प्रयास
महामारी के दौरान जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया, उनके लिए तीरथ सिंह रावत सरकार ने ‘वात्सल्य योजना’ शुरू की। यह योजना न सिर्फ आर्थिक सहायता तक सीमित थी, बल्कि इसमें बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और उनके उज्ज्वल भविष्य की जिम्मेदारी भी शामिल थी। सैकड़ों बच्चों को इस योजना से जीवन की नई राह मिली।
जन-कल्याणकारी दृष्टिकोण और सरल छवि
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि तीरथ सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में प्रशासनिक सादगी और संवेदनशीलता दिखाई। उनके फैसलों में आम जनता के दर्द को समझने और उसे दूर करने की झलक साफ दिखाई देती थी। यही कारण है कि उनका छोटा कार्यकाल भी जनता की स्मृतियों में बड़े बदलाव के रूप में दर्ज हुआ।
आज भी महसूस किया जा रहा प्रभाव
वर्तमान सरकार के कई निर्णय तीरथ सिंह रावत द्वारा रखी गई नींव पर खड़े हैं। रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में जो सुधार की शुरुआत हुई थी, वही आगे बढ़कर आज की नीतियों का आधार बन रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि तीरथ सिंह रावत का कार्यकाल भले ही संक्षिप्त रहा, लेकिन उसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देती रहेगी।
निष्कर्ष
राजनीति में अक्सर कहा जाता है कि कार्यकाल की लंबाई नहीं, बल्कि कार्यों की गुणवत्ता मायने रखती है। तीरथ सिंह रावत का उदाहरण इस बात को पुष्ट करता है। उन्होंने कम समय में जो कार्य किए, उन्होंने न सिर्फ तत्कालीन परिस्थितियों को संभाला बल्कि राज्य की आने वाली नीतियों और योजनाओं के लिए भी ठोस नींव रखी।